You are the Salt of the earth
नमस्कार दोस्तों!
क्या आप जानते है खाना हमारे शरीर के लिए कितना जरुरी है ? और खाने में हम क्या-क्या लेते है तथा कितना परिमाण में लेते है ? चाहे हम जितना भी दामी खाना क्यों ना बनाए अगर उसमे स्वाद न हो तो खाना मुश्किल है | आप समझ गए, कोई भी खाना को स्वादिष्ठ बनाने के लिए हम नमक ब्योहार करते है | लेकिन कितना ? महीने का ५ किलो ? या उससे ज्यादा ? जी हाँ दोस्तों हम सभी जानते है नमक अन्य खाने की बस्तुओ से सस्ता है और आधा किलो नमक पुरे महीने तक चलता है | जिस तरह नमक के बिना खाना बेस्वाद और फीका हो जाता है उसी प्रकार हमारा जीवन भी प्यार के बिना नीरस एवं फीका है | आज लोगो के पास बांग्ला, गाड़ी, बैंक बैलेंस, टेक्नोलॉजी, अच्छा खाना, दामी कपड़े सबकुछ है फिर भी जीवन नीरस और फीका है | कारन एक ही है प्यार का नमक की कमी | बाइबिल इस प्यार का नमक की कमी से होने वाली बिमारिओं का बर्णन कुछ इस प्रकार करती है :- परन्तु जान रख कि अंतिम दिनों में कठिन समय आएंगे | क्योंकि मनुस्य स्वार्थी, लोभी, अहंकारी, उदण्ड, परमेस्वर की निंदा करने वाले, माता- पिता की आज्ञा न मानने वाला, कृतन्द्य, अपवित्र, स्नेहरहित, छामरहित, परनिंदक, असयमी, क्रूर, भलाई से घृणा करने वाले , विश्वासघाती, ढीठ, मिथ्याभिमानी, परमेस्वर से प्रेम करने की अपेक्छा सुख-विलास से प्रेम करने वाले होंगे | (२ तिमुथियस ३:१-4)
इन्हे सस्ते और बिना मूल्य के चीजे रखना गवारा नहीं है | किन्तु इसके कमी के कारन होनेवाली जीवन दुःख एवं समस्याओं से भरा होगा | प्यार का नमक बिनामूल्य मिलता है, किन्तु जीवन को खुशियों से भर देता है | बाइबिल में लिखा है, क्योंकि परमेस्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया कि जो कोई उसपर विस्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए | (योहन ३:16) यीशु ने कहा, "इससे महान प्रेम और किसीका नहीं, कि कोई अपने मित्रो के लिए अपना प्राण दे | (योहन १५:१३) पिता ने अपना बेटा दे दिया, बेटा ने अपना जीवन दे दिया | क्यों ? यीशु ने कहा, "मै इसलिए आया हूँ कि वे जीवन पाएं और बहुतायत से पाएं | (योहन १०:१०) जीवन में खुशियां प्यार बाटने से आती है | मेरे प्यारे दोस्तों इस प्यार के नामक को अपने जीवन में लाइए और देखिये सिर्फ आपका जीवन ही नहीं आपसे मिलने वालों का जीवन भी स्वादिस्ट हो जायेगा | लोगो को अच्छा स्वाद देने के लिए हम नमक उनके मुहों में नहीं डालते बल्कि खाना में डालते हैं | अपनी दुर्गन्ध हटाने के लिए जब हम सेंट लगाते हैं तो सिर्फ अपनी दुर्गन्ध दूर नहीं होती किन्तु आसपास के लोगो को भी सुगंध मिलता है | यीशु ने कहा, "तुम पृथ्वी के नमक हो |" (मत्ती ५: 13) तो अपने में नमक का गुण भी थोड़ा रख लो भईया, नहीं तो यीशु आगे कहता है, "पर यदि नमक अपना स्वाद खो बैठे तो वह फिर किससे नमकीन किया जायेगा ? वह किसी काम का नहीं रह जाता, केवल इसके कि बाहर फेका जाय और मनुष्यों के पैरो तले रौंदा जाए | (मत्ती ५:13)
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